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Friday 25 October 2013

मनुष्यता कविता की पाठयोजना ऐ.सी.टी. के सहारे

പ്രിയപ്പെട്ട സുഹൃത്തുക്കളെ
ഐ.സി.റ്റി. ഉപാധികള്‍ക്ക് കൂടുതല്‍ പ്രാധാന്യം നല്കി തയ്യാറാക്കിയ मनुष्यता കവിതയുടെ पाठयोजना പ്രസിദ്ധീകരിക്കുന്നു.ഇതില്‍ ഉള്‍പ്പെടുത്താനായി കവിതയുടെ ഓഡിയോ അയച്ചുതരാനുള്ള അഭ്യര്‍ത്ഥനക്ക് രണ്ട് പേര്‍ മാത്രമാണ് പ്രതികരിച്ചത്.തിരൂര്‍ ആലത്തിയൂര്‍ മലബാര്‍ എച്ച്.എസ്.എസ്. ലെ അബ്ദുള്‍കലാം മാഷും ചേര്‍ത്തല പെരുമ്പളം എച്ച്.എസ്.എസ്. ലെ അശോകന്‍ മാഷും. രണ്ടു പേര്‍ക്കുമുള്ള ഹൃദയം നിറഞ്ഞ നന്ദി രേഖപ്പെടുത്തട്ടെ! കാരണം ആരും പ്രതികരിക്കാത്തതിനാല്‍ നിരാശയോടെ ഈ पाठयोजना സാധാരണമട്ടില്‍ പ്രസിദ്ധീകരിക്കാന്‍ ഉദ്ദേശിച്ചിരുന്നപ്പോഴാണ് ഇവരുടെ മെയിലുകളെത്തിയത്. പലരും ഇപ്പോഴും തങ്ങളുടെ കൈവശമുള്ള മെറ്റീരിയലുകള്‍ പൊതുവായി പങ്കുവെയ്ക്കാന്‍ തയ്യാറാകുന്നില്ല എന്നത് ഖേദം തന്നെ.
पाठयोजना യെക്കുറിച്ച് 
ക്ലാസ്സ് റൂം വിനിമയത്തിന് സഹായകമായ വിധത്തില്‍ pdf/slide കള്‍ നല്കിയിട്ടുണ്ട്. പുരാണകഥാ സന്ദര്‍ഭങ്ങള്‍ വിശദീകരിക്കാന്‍ സഹായകമായിട്ടുള്ളത് എന്ന് തോന്നിയ വീ‍ഡിയോകളുടെ (ഭാഷക്ക് പ്രാധാന്യം നല്കാതെ)ലിങ്കും അതതിടങ്ങളിലുണ്ട്. ഓരോ സെഷനിലെയും പാഠഭാഗത്തിന്റെ വ്യാഖ്യാനവും pdf ആയി നല്കിയിരിക്കുന്നു. കവിതയുടെ 3 ഓഡിയോ ഫയലുകളും ചോദ്യോത്തര ങ്ങളടങ്ങിയ ഒരു ഫയലും പോസ്റ്റിനൊടുവിലുണ്ട്. താങ്കളുടെ ക്ലാസ്സ് റൂം സാഹചര്യങ്ങള്‍ക്കും അഭിരുചിക്കും അനുസരിച്ച് മാറ്റങ്ങള്‍ വരുത്തി ഉപയോഗിക്കുക.ഉപയോഗപ്രദമായ സാമഗ്രികളെക്കുറിച്ച് കമന്റുകളിലൂടെ സൂചിപ്പിച്ചാല്‍ അവ കൂടി കൂട്ടിച്ചേര്‍ക്കുന്നതാണ്. 
ഈ അധ്വാനത്തെ വിലമതിക്കുന്ന പക്ഷം പ്രതികരിക്കുക.അത് അഭിനന്ദനങ്ങള്‍ തന്നയാവണമെന്ന് യാതോരു നിര്‍ബന്ധവുമില്ല. വിമര്‍ശനങ്ങള്‍ക്കും തിരുത്തലുകള്‍ക്കും സര്‍വ്വദാ സ്വാഗതം


राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की प्रसिद्ध कविता है "मनुष्यता"। इस कविता में समाज की भलाई के लिए कर्मरत होने का आह्वान है। मनुष्य है तो मृत्यु से निडर होकर जीना है। मृत्यु के बाद भी उसकी याद संसार में बनी रहे। यही कवि की कामना है।
उद्देश्य:
समस्यापरक : मानव जीवन में मानवता कम हो रही है।
भाषापरक : आधुनिक कविता का परिचय पाएँ।
आस्वादन टिप्पणी तैयार करने की क्षमता पाएँ।
सहायक सामग्री: कविता की सी.डी., पौराणिक-ऐतिहासिक कहानियाँ।

पहला अंतर
महत् उद्देश्य की प्रतिमा नामक साक्षात्कार में समाज-सेवा में लीन डॉ. शान्त से हमें परिचय पाया है। ऐसे अनेक महान व्यक्तित्व देश के कोने-कोने में थे, अब भी हैं।
  • वे कौन-कौन हैं?
  • उनके महत्व का कारण क्या है?
  • अब भी उनका नाम लोग आदर के साथ लेते हैं। क्यों?
दल में चर्चा हो, दलों की प्रस्तुति हो।
( वर्तमान समाज में मूल्यों की कमी हो रही है। नीचे की घटना पढ़ें। )
 click_here.gifप्रस्टेशन केलिए

बैक दुर्घटना: घायल युवक घंटों तक सड़क पर पड़ा रहा।
कण्णूर: वलपट्टणम पुल के निकट हुई बैक दुर्घटना में पच्चीस वर्ष के युवक ने सड़क पर ही दम तोड़ दी। दुर्घटना के बाद वह घंटों तक सड़क पर ही पड़ा रहा , लेकिन किसी ने भी उसे अस्पताल नहीं पहुँचाया। कुछ लोग मोबाइल पर उसका फोटो खींचने में व्यस्त थे।....

* युवक की मृत्यु कैसी हुई?
* घायल युवक के प्रति लोगों का व्यवहार कैसा था?
* लोगों में कैसा मनोभाव प्रकट हुआ है?
  • लोगों में मानवीय गुण कम हो रहा है।
  • अमानवीयता किसी भी दशा में कहीं भी शोभा नहीं देती।
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की कविता "मनुष्यता" यही बताती है।
विचार लो कि................मनुष्य के लिए मरे। 
click_here.gif
कविताभाग की व्याख्या केलिए

कवितांश का वाचन करें।
वाचन प्रक्रिया:
  • हमें किससे नहीं डरना चाहिए? क्यों?
  • मनुष्य किससे अधिक डरता है?
  • मनुष्य को कैसी मृत्यु अधिक शोभा देती है?
  • किस प्रकार की मृत्यु को सुमृत्यु कहा जा सकता है?
  • दूसरों के लिए जीनीवालों की मृत्यु किस तरह होती है?
  • किसे वृथा जीना पड़ता है?
  • किसे वृथा मरना पड़ता है?
  • पशु-प्रवृत्ति से क्या तात्पर्य है?
दल में चर्चा हो। दलों की प्रस्तुति हो।
अगला अंतर
दूसरों के लिए अपने आप को समर्पित कुछ व्यक्तित्व पुराण और इतिहास में हैं।
उनका परिचय पाएँ।
क्षुधार्त रंतिदेव..............मनुष्यता के लिए मरे।
 click_here.gifकविता की व्याख्या केलिए

कवितांश का वाचन करें।
वाचन प्रक्रिया:
आकलन कार्य भी करें ।
कवि ने दधीचि, कर्ण, रंतिदेव, शिबि आदि दानी व्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता
के लिए क्या संदेश दिया है?
  • रंतिदेव कौन थे? उन्होंने भूखे व्यक्ति से कैसा व्यवहार किया?
    दल में चर्चा हो। दलों की प्रस्तुति हो।
रंतिदेव
दया के लिए प्रसिद्ध राजा है रंतिदेव। उनके दरबार में अतिथियों के लिए खाने पकाने करीब बीस हज़ार नौकर नियुक्त थे।वे दिन-रात अतिथियों का स्वागत - सत्कार करने जागरुक रहे।उन्होंने अपनी सारी कमाई ब्राह्मणों को दान में दे दी। वेदाध्ययन करके रंतिदेव ने दुश्मनों को धर्म से परास्त किया । दान-कर्म के लिए मारी गई मावेशियों के चमड़े से बहे खून ने एक नदी का रूप लिया ,उस नदी का नाम है - चर्मण्यवती नदी।दिन- भर भूखा-प्यासा रहने के बावजूद एक बार रंतिदेव नेअपने महल में अतिथि बनकर आए वसिष्ठमुनि को अपना खाना देदिया।
രന്തിദേവന്റെ കഥ വീഡിയോ രൂപത്തില്‍ കാണൂ 
  Click Here for slide
  • दधीचि कौन थे? उन्होंने अपना अस्थिजाल क्यों दान दिया?
    दल में चर्चा हो। दलों की प्रस्तुति हो।
    दधीचि
    दधीची एक विख्यात ऋषि है। भृगु महर्षि का पुत्र । इंद्र ने दधीची की हड्डी से वज्रायुध बनाकर वृत्त नामक असुर का वध किया। इंद्र ने जब वज्रायुध बनाने दधीचि की हड्डी माँगी तो बिना हिचक ने अपनी हड्डी दान में दे दी और प्राण छोड़ दिए ।
    Click Here For Slide
  • शिबि कौन थे? उन्होंने कौन-सा महत्वपूर्ण कार्य किया?
    दल में चर्चा हो। दलों की प्रस्तुति हो।
राजा शिबी
एक बार इन्द्र ने राजा शिबी की दानशीलता की परीक्षा करने का निश्चय किया।इसके लिए इन्द्र ने एक कबूतर और अग्निदेव ने बाज का रूप धारण किया । बाज से बचने के प्रयास में कबूतर राजा शिबी की गोद में आ गिरा। अपने शिकार वापस देने को बाज ने तर्क उठाया।दानशील शिबी ने कबूतर के बदले अपना माँस काटकर दे दिया । इतने में कबूतर और बाज के रूप में आए ईश्वर अपने - अपने रूप में प्रकट हो गए और उन्होंने राजा शिबी को आशिर्वाद दिया ।
രാജാ ശിബിയുടെ ദാനം - തമിഴ് നൃത്തസംഗീത നാടകം ഒന്നാം ഭാഗം
രാജാ ശിബിയുടെ ദാനം - തമഴ് നൃത്തസംഗീത നാടകം രണ്ടാം ഭാഗം
രാജാ ശിബിയുടെ ദാനം - തമിഴ് നൃത്തസംഗീത നാടകം മൂന്നാം ഭാഗം 
  • कर्ण कौन थे? अपना शरीर-चर्म दान देकर कौन-सा संदेश दिया?
    दल में चर्चा हो। दलों की प्रस्तुति हो।
    कर्ण
    कर्ण महाभारत के मुख्य पात्र एवं दानवीर के रूप में प्रसिद्ध है। कर्ण के दानवीरता के भी अनेक संदर्भ मिलते हैं। उनकी दानशीलता की ख्याति सुनकर इन्द्र उनके पास कुण्डल और कवच माँगने गये थे।कर्ण ने अपने पिता सूर्य के द्वारा इन्द्र की प्रवंचनाका रहस्य जानते हुए भी उनको कुंडल और कवच दे दिये।इन्द्र ने उसके बदले में एक बार प्रयोग के लिए अपनी आमोघ शक्ति दे दी थी। उससे किसी का वध अवश्यम्भावी था। कर्ण उस शक्ति का प्रयोग अर्जुन पर करना चाहते थे । किंतु दुर्योधन के निदेश पर उन्होंने उसका प्रयोग भीम के पुत्र घटोत्कच पर किया था । अपने ्ंतिम समय में पितामह भीष्म ने कर्ण को उनके जन्म का रहस्य बताते हुए महाभारत के युद्ध में पाण्डवों का ससाथ देने को कहा था किंतु कर्ण ने इसका प्रतिरोध करके अपनी सत्यनिष्ठा का परिचय दिया ।भीम के अनंतर कर्ण कौरव सेना के सेनापति नियुक्त हुए थे।अंत में तीन दिन तक युद्ध संचालन के उपरांत अर्जुन ने उनका वध कर दिया ।कर्ण के चरित्र में आदर्शों का दर्शन उनकी दानवीरता एवं युद्धवीरता के युगपत् प्रसंगों में किया जा सकता है।
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  • देह और जीव के संबंध में कवि ने क्या बताया है?
दल में चर्चा हो। दलों की प्रस्तुति हो।

लेखन कार्य : कविता में दिए पौराणिक पात्रों के महत्व पर अपने मित्र के नाम पत्र लिखें
संकलन करें : दधीचि, कर्ण, रंतिदेव, शिबि आदि दानी व्यक्तियों की कहानियों का संकलन करें।
अगला अंतर
मानव जीवन अमूल्य है। भिन्नताओं को भूलकर एकता में रहने से सबकी भलाई होती है। रहो
कवितांश का वाचन करें।
न भूल के..............मनुष्य के लिए मरे। (12 पंक्तियाँ
click_here.gifकविता की व्याख्या केलिए 

वाचन प्रक्रिया:
? जीवन की सुख-सुविधाओं में मदांध होकर जीनेवालों को कवि क्या उपदेश देना चाहते हैं?
  • धन-संपत्ति के प्रति कवि की राय क्या है?
  • सनाथ जीवन के लिए क्या न होना चाहिए?
  • यहाँ दीनबन्धु कौन है?
  • अभीष्ट मार्ग में किस तरह चलना है?
  • "घटे न हेल-मेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी"- यहाँ कवि का तात्पर्य क्या है?
  • कवि की राय में क्या नहीं घटना चाहिए?
  • क्या नहीं बढ़ना चाहिए?
  • हम किस राह के पथिक हैं?
  • जीवन का समर्थ भाव किसमें है?
दलों में चर्चा हो। दलों की प्रस्तुति हो।
इन बिंदुओं पर चर्चा करें।
  • भूमिका- कवि और कविता का परिचय
  • भावविश्लेषण
  • कविता की भाषा, बिंब, प्रतीक, प्रयुक्त शब्दावली आदि पर टिप्पणी।
  • कविता की प्रासंगिकता।
  • अपना दृष्टिकोण।
कविता की आस्वादन टिप्पणी तैयार करें।
लेखन प्रक्रिया -
आस्वादन टिप्पणी।
उपज की प्रस्तुति हो।
उपज का आकलन करें।
अध्यापक की ओर से प्रस्तुति ।

आस्वादन टिप्पणी
मनुष्यता
( मैथली शरण गुप्त )

श्री मैथली शरण गुप्त द्वारा लिखित कविता है- मनुष्यता। मनुष्यता मनुष्य के गुणों का परिचायक तत्व है।यही मनुष्य होने का अनिवार्य अंतरंगी चेतना है । मनुष्य होकर जीना है तो मनुष्य से निड़र होकर जीना है।कवि कहता है कि निड़रता उसका जन्मजात गुण हो । मरने के बाद भी उसकी याद बनी रहनी चाहिए।बेकार का जीना और बेकार का मरना सुमृत्यु नही कहलाएगी।
रतिदेव , दुधीची ,उशीनर ,कर्ण आदि महात्मा जीवनदान करते वक्त डरा नहीं उन्हें जान का मोह नहीं था । देह क्षणिक है, अनित्य है सदा केलिए रहनेवाला सशक्त जीव को डरने की क्या ज़रूरत है। मनुष्यता क्षणिक शरीर के लिए भयभीत न होने का संदेश देती है ।धन के लोभ और मोह में पड़कर ,मदोन्मत्त होकर जीवन की सच्चाई और असलियत को भूलकर जीना भला नहीं होता जीवन की विलासिता में डूबकर जीनेवालों को कवि उपदेश देता है कि धन-दौलत की दौड़ में भूलकर जीवन बरबाद नहीं करना चाहिए। जब तक ईश्वर सहारा देते है तब तक कोई अनाथ नहीं होता । जो कोई मनुष्य के लिए मरे वही मनुष्य कहलाने योग्य है।
विघ्न बाधाओं को पार करते हुए उनका सहर्ष सामना करते हुए अग्रसर होना चाहिए।मेल-मिलाप और प्यार -समता की कमी नहीं होना चाहिए ।मेल-मिलाप और प्यार - ममता कमी नही होनी चाहिए और भिन्नता का भाव भी नहीं होना चाहिए।हम हमराही बनें, इसीमें भलाई है ,औरों को बचाते हुए स्वयं बचें,इसमें सफलता है। मनुष्य के लिए मनुष्यता है ।
गुप्तजी गाँधीवादी दर्शन से प्रभावित आदर्श राष्ट्रकवि है । देश प्रेम , राष्ट्रीयता आदि सात्विक भाव उनकी रचनाओं को प्रौढ़ता प्रदान करता है। मनुष्यता में इन्हीं भावों का समावेश हुआ है।
click_here.gifकविता का आलाप (हिंदी ब्लोग वाणी प्रस्तुति) केलिए

 click_here.gifकविता का आलाप (अशोक कुमारजी की प्रस्तुति)

 click_here.gifकविता की का आलाप (के.सी.कलामजी से मिला उपज)

click_here.gifकविता पर कुछ प्रश्न और उत्तर (पी.डी.एफ) केलिए
 
 
पाठ्यपुस्तिका की "मैंने क्या किया" शीर्षक पर दी गई जाँच-सूची का इस्तेमाल करेंगे।
"मनुष्यता" कविता में तत्सम शब्दों की भरमार है।
(तत्सम शब्द वे हैं जो संस्कृत से आए हैं और बिना किसी परिवर्तन से हिंदी में प्रयुत्क हैं।)
कविता से तत्सम शब्द छांटकर लिखें।
तारे ज़मीं पर
फिल्म समीक्षा का वाचन करें।
पाठ्यपुस्तिका के पृष्ठ संख्या 57 में दिए कार्य करें।
बूढ़ी काकी या अन्य किसी फिल्म दिखा दें।
फिल्म समीक्षा दल में तैयार करें।
दल की ओर से प्रस्तुति ।

Monday 21 October 2013

इसलिए-क्योंकि: दोनों योजक एक ही संदर्भ में


तैयारी:
 रवि. एम.,
 सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल
 कडन्नप्पल्लि, कण्णूर
രവിമാഷ് ഏകദേശം ഒരു മാസത്തിനു മുന്‍പ് തയ്യാറാക്കി അയച്ച പോസ്റ്റാണിത്. മറ്റ് പോസ്റ്റുകള്‍ക്കിടയില്‍ പെട്ട് ശ്രദ്ധിക്കപ്പെടാതെ പോകരുത് എന്ന വിചാരത്തോടെ പിന്നീട് പ്രസിദ്ധീകരിക്കാനായി മാറ്റിവച്ചു. വിവിധ പാഠഭാഗങ്ങളുടെ പ്രസിദ്ധീകരണത്തിരക്കില്‍ പിന്നീടത് ഓര്‍മ്മയില്‍ നിന്ന് വിട്ടു പോകുകയും ചെയ്തു. इसलिए , क्योंकि എന്നീ രണ്ട്  योजक ഒരേ സന്ദര്‍ഭത്തില്‍ പ്രയോഗിക്കുന്നതുമായി ബന്ധപ്പട്ട് ,ധാരാളം ഉദാഹരങ്ങളുടെ സഹായത്തോടെ തയ്യാറാക്കിയിട്ടുള്ള ഈ പോസ്റ്റ്  അദ്ധ്യാപകര്‍ക്കും വിദ്യാര്‍ത്ഥികള്‍ക്കും തീര്‍ച്ചയായും പ്രയോജനം ചെയ്യും. വൈകിയതില്‍ ക്ഷമചോദിച്ചു കൊണ്ട് പോസ്റ്റ് നിങ്ങള്‍ക്കായി സമര്‍പ്പിക്കുന്നു.

1. मैं सो नहीं सका। बाहर बड़ा शोर था।
मैं सो नहीं सका क्योंकि बाहर बड़ा शोर था।
बाहर बड़ा शोर था इसलिए मैं सो नहीं सका।

2. आज परीक्षा है। मैं जल्दी स्कूल पहुँचा।
मैं जल्दी स्कूल पहुँचा क्योंकि आज परीक्षा है।
आज परीक्षा है इसलिए मैं जल्दी स्कूल पहुँचा।

3. कमला जल्दी चली। उसे गाड़ी नहीं मिली थी।
कमला जल्दी चली क्योंकि उसे गाड़ी नहीं मिली थी।
कमला को गाड़ी नहीं मिली थी इसलिए वह जल्दी चली।

4. सबेरे पानी बरसा था। आज गर्मी कम है।
आज गर्मी कम है क्योंकि आज पानी बरसा था।
सबेरे पानी बरसा था इसलिए आज गर्मी कम है।

5. नदी में पानी भरा। कल भारी वर्षा थी।
नदी में पानी भरा क्योंकि कल भारी वर्षा थी।
कल भारी वर्षा थी इसलिए नदी में पानी भरा।

6. कपड़ा सुंदर है। संजय को पसंद आया।
संजय को पसंद आया क्योंकि कपड़ा सुंदर है।
कपड़ा सुंदर है इसलिए संजय को पसंद आया।


7. परीक्षा आसान थी। छात्र बहुत प्रसन्न थे।
छात्र बहुत प्रसन्न थे क्योंकि परीक्षा आसान थी।
परीक्षा आसान थी इसलिए छात्र बहुत प्रसन्न थे।

8. फूल में शहद है। तितली शहद पीने आई।
तितली शहद पीने आई क्योंकि फूल में शहद है।
फूल में शहद है इसलिए तितली शहद पीने आई।

9. घना जंगल था। मैं डर गया।
मैं डर गया क्योंकि घन जंगल था।
घना जंगल था इसलिए मैं डर गया।

10. मैं होटल नहीं गया। मेरे पास पैसे नहीं थे।
मैं होटल नहीं गया क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं थे।
मेरे पास पैसे नहीं थे इसलिए मैं होटल नहीं गया।

Thursday 17 October 2013

कार्यपत्रिका -महत् उद्देश्य की प्रतिमा


പൂജാ അവധിക്കാലത്തെ യാത്രാത്തിരക്കുകള്‍ക്കിടയില്‍ പുതിയ പോസ്റ്റ് എങ്ങനെ ചെയ്യും എന്നാലോചിച്ചിരിക്കുമ്പോഴാണ് കൊല്ലം കൈതക്കുഴി നെഹ്റു മെമ്മോറിയല്‍ ഹയര്‍സെക്കന്ററി സ്കൂളിലെ ശ്രീ സന്തോഷ് കുമാര്‍ സാറിനെ കാണാനിടയായത്. സംസാരത്തിനിടയില്‍  महत् उद्देश्य की प्रतिमा പാഠഭാഗത്തിന്റെ വര്‍ക്ക്ഷീറ്റ് തയ്യാറാക്കി നോക്കിയ കാര്യം സൂചിപ്പിച്ച് കേട്ടതും അത് നിര്‍ബന്ധപൂര്‍വ്വം കൈയ്യോടെ വാങ്ങിവച്ചു.വീട്ടിലെത്തിയതും കൈവശമുണ്ടായിരുന്ന ചില ചോദ്യങ്ങളും ചേര്‍ത്ത് അര മണിക്കൂര്‍ നേരം കൊണ്ട് വര്‍ക്ക്ഷീറ്റ് പൂര്‍ത്തിയാക്കി തിരുത്തലുകള്‍ക്കായി എല്ലാ അഡ്മിന്‍മാര്‍ക്കും അയച്ചുകൊടുക്കുകയും ചെയ്തു.യാത്രക്കു ശേഷം തിരിച്ചെത്തുമ്പോള്‍ രവിമാഷിന്റയും ജയദീപ്മാഷിന്റയും മറുപടികള്‍ തയ്യാര്‍. സന്തോഷ് കുമാര്‍ സാറിനെപ്പോലെ ധാരാളം പേര്‍ ഇത്തരത്തില്‍ പ്രവര്‍ത്തനങ്ങള്‍ തയ്യാറാക്കുന്നുണ്ട് .അത്തരത്തിലുള്ള മെറ്റീരിയലുകളും പങ്ക് വെയ്ക്കപ്പെടാന്‍ ഈ പോസ്റ്റ് ഇടയാക്കട്ടെ എന്ന ആഗ്രഹത്തോടെ ഈ വര്‍ക്ക്ഷീറ്റ് ഞങ്ങള്‍ പ്രസിദ്ധീകരിക്കുന്നു
महत् उद्देश्य की प्रतिमा
विश्लेषणात्मक प्रश्न

1. ‘नई जीवन शैली की वजह से हमारे देश में कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ रही है- आपकी राय में कैंसर पीड़ितों की संख्या बढ़ने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं?
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2.‘आज का शोध कल का उपचार है।’-इस कथन से आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
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3.‘तीन वर्षों तक बिना वेतन का काम किया।’-यहाँ डॉ. शांता के चरित्र की कौन-सी विशेषता प्रकट होती है?
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4. आज के ज़माने में "फास्टफुड भोजन” हमारे राज्य में एक मुख्य स्थान पा चुका है । इस पर अपना विचार प्रकट करें ।
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प्रोक्तियाँ
1. मान लें, डॉ.शांता मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित होने की खबर पढ़ने के बाद एक आदमी उनके नाम एक बधाई-पत्र तैयार करता है। वह पत्र कैसा होगा। ज़रा कल्पना करके लिखने की कोशिश करें।

स्थान................
तारीख..............
महोदया,
मुझे यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि आप मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित हुई है। हार्दिक बधाइयाँ।....................... ................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................
शुभकामनाओं सहित
भवदीय
(हस्ताक्षर)
नाम
सेवा में
…............................
…............................

2.पाठभाग के आधार पर डॉ.शांता का आत्मकथाँश तैयार करें।

..............................(शीर्षक)

मैं डॉ. शांता हूँ। मैं एक कैंसर चिकित्सक हूँ।............................... …......... ...................... .................... ....................... ........................ .....................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................


3.पाठभाग के आधार पर डॉ.शांता का जीवनी तैयार करें।
..............................(शीर्षक)
डॉ. शांता एक कैंसर चिकित्सक हैं।.................................... …......... ...................... .................... ....................... ........................ .....................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................

4.डॉ. शांता को मैगसेसे पुरस्कार मिला है। उनकी बधाई समारोह के प्रचार केलिए एक पोस्टर तैयार करें।


बधाई समारोह
..........................................
.....................................
स्थान : …...............................
.....................................
समय :..................................................
तारीख.................................
.............................................का स्वागत


5. डॉ. शांता को मैगसेसे पुरस्कार मिला है। उनके बधाई समारोह के प्रचार केलिए एक उद्घोषणा तैयार करें।
मान्यवर,
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6. डॉ. शांता ने सरकारी नौकरी छोड़कर कैंसर इंस्टिट्यूट में भर्ती हो जाने का निश्चय किया। वह दिन उनके लिए बहुत संघर्षपूर्ण था। उस दिन डॉ. शांता ने अपनी डायरी किस प्रकार लिखी होगी? ज़रा कल्पना करके लिखें।

तारीख.............
स्थान...............
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7. डॉ. मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी ने कैंसर इंस्टीट्यूट की स्थापना की थी। कल्पना करें, इसके उद्घाटन की सूचना देते हुए उद्घोषणा तैयार करें ।
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8.निम्न लिखित चरित्रगत विशेषताओं से डॉ. शांता की विशेषताएँ चुनकर लिखें ।
  • बुजुर्गों से सद्गुणों को स्वीकार करनेवाली ।
  • बिना वेतन का काम न करनेवाली ।
  • भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ उठानेवाली ।

9. डॉ. वी. शाता मैगसेसे पुरसकार से सममानत हुई । समाचार पत्र किलए एक रपट तैयार करें ।
......................(शीर्षक )
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10.कैंसर इंस्टिट्यूट में काम करने किलए तैयार हुई डॉ. वी. शांता और डॉ. कृष्णमूर्ति के बीच का संभावित वार्तालाप कलपना करक लिखें ।
शांता :
कृष्णमूर्ति :
शांता :
कृष्णमूर्ति :
शांता :
कृष्णमूर्ति :

11.'अस्पताल में भ्रष्टाचार'–विषय पर एक लेख लिखें।
......................(शीर्षक )
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12. डॉ. वी. शांता की चरित्रगत विशेषताएँ चुनकर लिखें।

  • समाज सेवा में तत्पर ।
  • पैसे की लालचवाली।
  • निस्वार्थ सेवा करनेवाली।

13.घटनाओं को क्रमबद्ध करें ।

डॉ.वी. शांता ने कैंसर इंस्टीट्यूट में भर्ती होने का निर्णय लिया ।

डॉ.वी. शांता ने चिकत्सा के क्षेत्र में जाने का फैसला किया ।

डॉ. मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी ने कैंसर असपताल खोलने केलिए अभियान शुरू किया ।

डॉ.वी. शांता को जनरल असपताल में डॉ. कृष्णमूर्ति के साथ काम करने का अवसर मिला ।

14. समाज सेवा में अपने आपको समर्पित महान प्रतिभा डॉ. शांता से आशा कृष्णकुमार का साक्षात्कार बड़ा प्रेरणादायक था। आशा कृष्णकुमार की उस दिन की डायरी कल्पना करके लिखें।

तारीख.............
स्थान...............
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